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चिरायता

Mentioned below are the best health benefits of Chirata
संस्कृत में किराततिक्त या भूनिम्ब के नाम से उल्लिखित चिरायता का वैज्ञानिक नाम स्वीर्टिया चिरेटा है। यह पूरे भारत में पाया जाता है लेकिन इसके बारे में सबसे पहले यूरोप में 1839 में पता चला था. स्वाद में बेहद कड़वा लगाने वाले चिरायता का औषधीय उपयोग तवचा की समस्याओं, बुखार, सूजन आदि में किया जाता है। 2-3 फूट की ऊंचाई और चौड़ी पत्तियों वाली चिरायता का फल सफ़ेद रंग का होता है। चिरायता में सूखापन, गर्म, कड़वापन और तीखापन का गुण मौजूद होने के कारण इसका उपयोग कफ, पित्त और वात में संतुलनल बनाने के लिए भी किया जाता है।

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करेले

BITTER GOURD POWDER - KARELA POWDER - MOMORDICA CHARANTIA/b>
करेले का कड़वा स्वाद भले ही आपको विचलित करे लेकिन इसके स्वास्थयवर्धक गुणों के कारण ये काफी लोकप्रिय है। इसके औषधीय गुणों से आप कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं. इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फोलेट, विटामिन ए, विटामिन सी और कई विटामिन बी का एक प्रचुर स्रोत है। इसमें आहार फाइबर भी अच्छी मात्रा में शामिल है और इसमें कैलोरी भी कम होती है। यह लिनोलेनिक एसिड (एक आवश्यक, ओमेगा -6 फैटी एसिड) और ओलिक एसिड (एक असंतृप्त वसा) का भी एक अच्छा स्रोत है।

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बेलगिरी

BEL GIRI POWDER - BAEL PHAL - BEAL FRUIT DRY - AEGLE MARMELOS - WOOD APPLE
बेल फल, वास्तविकता में, लिमोनिया एसिडिसिमा नाम की एक जड़ी बूटी है। यह भारत के मूल है, हालांकि, वर्तमान में यह दक्षिण-पूर्व एशिया भर में पाया जाता है। व्यापक रूप से थाईलैंड, श्रीलंका और दक्षिणी एशिया के अन्य क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है। बेल फल के कई अन्य नाम हैं जैसे वुड एपल, बंगाल क्विन्स, एलिफेंट एपल और मंकी फ्रूट। भारत के विभिन्न हिस्सों में हिंदू भगवान शिव की धार्मिक पूजा में इसके उपयोग के लिए प्रसिद्ध है।

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बेलगिरी

BEL LEAF POWDER - BEL PATTA POWDER - BEL PATRA POWDER - BAILPATR - BAIL PATR - AEGLE MARMELOS
बेल फल, वास्तविकता में, लिमोनिया एसिडिसिमा नाम की एक जड़ी बूटी है। यह भारत के मूल है, हालांकि, वर्तमान में यह दक्षिण-पूर्व एशिया भर में पाया जाता है। व्यापक रूप से थाईलैंड, श्रीलंका और दक्षिणी एशिया के अन्य क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है। बेल फल के कई अन्य नाम हैं जैसे वुड एपल, बंगाल क्विन्स, एलिफेंट एपल और मंकी फ्रूट। भारत के विभिन्न हिस्सों में हिंदू भगवान शिव की धार्मिक पूजा में इसके उपयोग के लिए प्रसिद्ध है।

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बहेड़ा

BAHEDA CHILKA POWDER - BAHERA CHILKA POWDER - TERMINALIA BELERICA
क्या आप जानते हैं कि बहेड़ा (Baheda) क्या है या बहेड़ा का उपयोग किस चीज में किया जाता है? अगर आप नहीं जानते हैं तो यह जान लीजिए कि बहेड़ा (Bibhitaki) का तेल बालों को काला करने के लिए उपयोगी माना जाता है। आग से जलने के कारण हुए घाव पर भी बहेड़ा का तेल लाभकारी है। बहेड़ा (terminalia bellerica) वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को दूर करता है, लेकिन इसका मुख्य प्रयोग कफ-प्रधान विकारों में होता है। यह आँखों के लिए हितकारी, बालों के लिए पोषक होता है। इतना ही नहीं बहेड़ा असमय बाल पकने, गला बैठने, नाक सम्बन्धी रोग, रक्त विकार, कंठ रोग (लैरियेंगोट्राकियोब्रॉन्काइटिस) तथा हृदय रोगों में फायदेमंद होता है। बहेड़ा कीड़ों को मारने वाली औषधि है। बहेड़े के फल की मींगी मोतियाबिन्द को दूर करती है। इसकी छाल खून की कमी, पीलिया और सफेद कुष्ठ में लाभदायक है। इसके बीज कड़वे, नशा लाने वाले, अत्यधिक प्यास, उल्टी, तथा दमा रोग का नाश करने वाले हैं।

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अर्जुन छाल

ARJUNA CHAAL POWDER - ARJUN CHHAL POWDER - TERMINALIA ARJUNA
अमरूद की समान पत्तियों वाले लेकिन आकार में इससे बहुत बड़े अर्जुन वृक्ष का वैज्ञानिक नाम टर्मिमिनेलिया अर्जुना है। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे धवल, कुकुभ और नाडिसार्ज जैसे नामों से भी जानते हैं। अर्जुन वृक्ष एक सदाबहार यानी हमेशा हरा-भरा आने वाला वृक्ष है। अर्जुन वृक्ष का नाम प्रमुख औषधीय वृक्षों में है। इसका इस्तेमाल ह्रदय रोग में प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। अर्जुन वृक्ष के छाल के चूर्ण, काढ़ा, अरिष्ट आदि के रूप में उपयोग किया जाता है।
सदियों से आयुर्वेद में सदाबहार वृक्ष अर्जुन को औषधि के रुप में ही इस्तेमाल किया गया है। आम तौर पर अर्जून की छाल और रस का औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। अर्जून नामक बहुगुणी सदाहरित पेड़ की छाल यानि अर्जुन की छाल के फायदे का प्रयोग हृदय संबंधी बीमारियों , क्षय रोग यानि टीबी जैसे बीमारी के अलावा सामान्य कान दर्द, सूजन, बुखार के उपचार के लिए किया जाता है।

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आंवला

AMLA POWDER - AWALA - AWLA - AAMLA - AMALKI
आयुर्वेद के अनुसार, आंवला एक ऐसा फल है, जिसके अनगिनत लाभ (Amla Benefits in Hindi) हैं। आंवला ना सिर्फ त्वचा, और बालों के लिए फायदेमंद है, बल्कि कई तरह के रोगों के लिए औषधि के रूप में भी काम करता है। आंवला का प्रयोग कई तरह से किया जाता है, जैसे- आमला जूस (amla juice), आंवला पाउडर (amla powder), आंवला अचार आदि। आंवला में प्रचुर मात्रा में विटामिन, मिनरल, और न्यूट्रिएन्ट्स होते हैं, जो आंवला को अनमोल गुणों वाला बनाते हैं।
आंवला को आयुर्वेद में अमृतफल या धात्रीफल कहा गया है। वैदिक काल से ही आंवला (phyllanthus emblica) का प्रयोग औषधि के रूप में किया जा रहा है। पेड़-पौधे से जो औषधि बनती है उसको काष्ठौषधि कहते हैं और धातु-खनिज से जो औषधि बनती है उनको रसौषधि कहते हैं। इन दोनों तरह की औषधि में आंवला का इस्तेमाल किया जाता है। यहां तक कि आंवला को रसायन द्रव्यों में सबसे अच्छा माना जाता है यानि कहने का मतलब ये है कि जब बाल बेजान और रूखे-सूखे हो जाते हैं तब आंवला का प्रयोग करने पर बालों में एक नई जान आ जाती है। आंवला का पेस्ट लगाने पर रूखे बाल काले, घने और चमकदार नजर आने लगाते हैं।

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अश्वगंधा

ASHWAGANDHA POWDER - ASHVAGANDHA POWDER - ASGANDH NAGORI - WITHANIA SOMNIFERA
आपने कई बार अश्वगंधा का नाम सुना होगा। अखबारों या टीवी में अश्वगंधा के विज्ञापन आदि भी देखे होंगे। आप सोचते होंगे कि अश्वगंधा क्या है या अश्वगंधा के गुण क्या है? दरअसल अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है। अश्वगंधा का प्रयोग कई रोगों में किया जाता है। क्‍या आप जानते हैं कि मोटापा घटाने, बल और वीर्य विकार को ठीक करने के लिए अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अश्वगंधा के फायदे और भी हैं। अश्वगंधा के अनगिनत फायदों के अलावा अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से अश्वगंधा के नुकसान से सेहत के लिए असुविधा उत्पन्न हो सकता है। अश्‍वगंधा के कुछ खास औषधीय गुणों के कारण यह बहुत तेजी से प्रचलित हुआ है। आइए आपको बताते हैं आप अश्वगंधा का प्रयोग किन-किन बीमारियों में और कैसे कर सकते हैं।
अलग-अलग देशों में अश्‍वगंधा कई प्रकार की होती है, लेकिन असली अश्वगंधा की पहचान करने के लिए इसके पौधों को मसलने पर घोड़े के पेशाब जैसी गंध आती है। अश्वगंधा की ताजी जड़ में यह गंध अधिक तेज होती है। वन में पाए जाने वाले पौधों की तुलना में खेती के माध्‍यम से उगाए जाने वाले अश्‍वगंधा की गुणवत्‍ता अच्‍छी होती है। तेल निकालने के लिए वनों में पाया जाने वाला अश्‍वगंधा का पौधा ही अच्‍छा माना जाता है।

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आंबा हल्दी

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भारत के समस्त प्रान्तों में इसकी खेती की जाती है। इसके गाँठे आम की तरह गन्धयुक्त होती हैं इसलिए इसे आमा हल्दी कहते हैं। लोग इसकी गाँठों के छोटे-छोटे टुकड़े करके सुखा लेते हैं। प्राय बाजार में आमा हल्दी के नाम से वन्यहरिद्रा की गाँठें बिकती हैं। इसका उपयोग हलदी के स्थान पर किया जाता है। सुगन्धित होने के कारण इसे चटनी आदि में प्रयोग किया जाता है। मिठाईयों में आम की गन्ध लाने के लिए इसके फाण्ट का उपयोग किया जाता है। इसके प्रकन्द बृहत्, स्थूल, बेलनाकार अथवा दीर्घवृत्ताकार, शाखा-प्रशाखायुक्त होते हैं।

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